अंतिम दिनों का मसीह - सर्वशक्तिमान परमेश्वर

अंधकार के प्रभाव से बच निकलें और आप परमेश्वर द्वारा जीत लिए जाएँगे

  अंधकार का प्रभाव क्या है?


  अंधकार का तथा-कथित प्रभाव शैतान का बंधन है, शैतान का प्रभाव है, और यह वह प्रभाव है जिसमें मृत्यु का प्रभामण्डल है।


  आपके ईमानदारी से परमेश्वर से प्रार्थना करने के बाद, आप अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर की ओर मोड़ दें, इस बिंदु पर, आपका हृदय परमेश्वर की आत्मा से प्रेरित है, आप अपने आप को पूरी तरह से देने के लिए तैयार हैं, और इस क्षण में, आप अंधकार के प्रभाव से बच निकले हैं। यदि वह सब कुछ जो मनुष्य करता है परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला है और परमेश्वर की अपेक्षाओं के साथ सही बैठता है, तो वह कोई ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचनों के अंदर रहता है, वह कोई ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर की निगरानी और सुरक्षा के अधीन रहता है। यदि लोग परमेश्वर के वचनों का अभ्यास करने में असमर्थ हैं, हमेशा परमेश्वर को मूर्ख बना रहे हैं और परमेश्वर के साथ लापरवाह तरीके से कार्य कर रहे हैं, परमेश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नहीं कर रहे हैं, तो ऐसे सभी मनुष्य अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं। जिन लोगों ने परमेश्वर द्वारा उद्धार को नहीं प्राप्त किया है, वे सब शैतान की प्रभुता के अधीन रह रहे हैं, अर्थात्, वे सभी अंधकार के प्रभाव में रहते हैं। जो लोग ईश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं, वे शैतान की प्रभुता के अधीन रह रहे हैं। यहाँ तक कि जो लोग परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करते हैं, वे जरूरी नहीं कि परमेश्वर के प्रकाश में रह रहे हों, क्योंकि जो लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं, जरूरी नहीं कि परमेश्वर के वचनों के अंदर जा रहे हों, और जरूरी नहीं कि वे ऐसे मनुष्य हों जो परमेश्वर का पालन कर सकते हों। मनुष्य केवल परमेश्वर पर विश्वास करता है, और मनुष्य को परमेश्वर को जानने की विफलता के कारण, वह अभी भी पुराने नियमों के भीतर रह रहा है, मृत वचनों के भीतर जी रहा है, एक ऐसा जीवन जी रहा है जो अंधकारमय और अनिश्चित है, परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से शुद्ध नहीं किया गया है, पूरी तरह से परमेश्वर द्वारा जीता नहीं गया है । इसलिए, जबकि कहने की आवश्यकता नहीं कि जो लोग परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं, अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं, यहाँ तक कि जो लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, वे अभी भी अंधकार के प्रभाव में रह रहे हों, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन पर काम नहीं किया है। जिन लोगों ने परमेश्वर का अनुग्रह या परमेश्वर की दया नहीं प्राप्त की है, जो पवित्र आत्मा द्वारा किए गये कार्य को नहीं देख सकते हैं, वे सभी अंधकार के प्रभाव में जी रहे हैं; जो लोग केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेते हैंमगर परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे भी अधिकांश समय अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करता हैमगर अपना अधिकांश जीवन अंधकार के प्रभाव में जीते हुए बिताता है, तो इस व्यक्ति का अस्तित्व अपना अर्थ को खो चुका है, उन लोगों की तो बात ही छोड़ें जो ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते हैं।


  वे सभी लोग परमेश्वर के काम को स्वीकार नहीं कर सकते हैं और इसलिए परमेश्वर की माँगों को पूरा करने में असमर्थ हैं, वे अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं; जो लोग सच्चाई की तलाश करते हैं और परमेश्वर की मांगों को पूरा करने में सक्षम हैं, वे परमेश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, और वे अंधकार के प्रभाव से बच निकलेंगे।


  वे मनुष्य जिन्हें मुक्त नहीं किया गया है, जो हमेशा कुछ चीजों के द्वारा नियंत्रित होते हैं, अपने ह्रदय को परमेश्वर को नहीं दे पाते है, ये वे मनुष्य हैं जो शैतान के बंधन के अधीन हैं, और वे मौत के वातावरण में रह रहे हैं।


  जो अपने स्वयं के कर्तव्यों के प्रति बेईमान हैं, जो परमेश्वर के आदेश के प्रति बेईमान हैं, जो कलीसिया में अपना कार्य नहीं कर रहे हैं, वे अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं।


  वे जानबूझकर कलीसिया के जीवन में बाधा डाल रहे हैं, जो जानबूझकर भाइयों और बहनों के बीच संबंधों को नष्ट कर रहे हैं, जो अपने स्वयं के गिरोहों को इकट्ठा कर रहे हैं, वे और भी गहराई से अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं, वे शैतान के बंधन में रह रहे हैं।


  जिनका परमेश्वर के साथ एक असामान्य रिश्ता है, जो हमेशा अनावश्यक अभिलाषाओं वाले हैं, जो हमेशा हर परिस्थिति से लाभ लेना चाहते हैं, जो कभी अपने स्वभाव में परिवर्तन नहीं लाना चाहते हैं, ये ऐसे मनुष्य हैं जो अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं।


  जो लोग हमेशा मैले-कुचैलेहैं, सत्य के अपने अभ्यास में गंभीर नहीं हैं, परमेश्वर की इच्छाओं को पूरा करने के इच्छुक नहीं हैं, जो केवल अपने ही शरीर को संतुष्ट कर रहे हैं, ये भी ऐसे मनुष्य हैं जो अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं, और वे मृत्यु में ढके हुए हैं।


  जो लोग परमेश्वर के लिए काम करते समय चालबाजी और धोखे को काम में लाते हैं, परमेश्वर के साथ लापरवाहतरीके से व्यवहार कर रहे हैं, परमेश्वर को धोखा दे रहे हैं, हमेशा स्वयं के लिए सोचते रह रहे हैं, ऐसे मनुष्य अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं।


  जो लोग ईमानदारी से परमेश्वर से प्यार नहीं कर सकते हैं, जो सच्चाई की खोज नहीं कर रहे हैं, जो अपने स्वभाव को बदलने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, वे अंधकार के प्रभाव में रह रहे हैं।


  यदि आप परमेश्वर द्वारा प्रशंसा किया जाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले शैतान के अंधकार के प्रभाव से अवश्य बच निकलना चाहिए, अपना ह्रदय परमेश्वर के लिए खोल देना चाहिए, और इसे पूरी तरह से परमेश्वर की और मोड़ देना चाहिए। क्या जिन कामों को आप अभी कर रहे हैं वे परमेश्वर द्वारा प्रशंसा की जाती हैं? क्या आपने अपना ह्रदय परमेश्वर की ओर मोड़ दिया है? आपने जो काम किये हैं, क्या ये वही हैं जो परमेश्वर ने आपसे अपेक्षा किए हैं? क्या वे सत्य के साथ सही बैठते हैं? आपको हमेशा अवश्य अपने आप की जाँच करनी चाहिए, परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने पर एकाग्र करना चाहिए, अपने ह्रदय को परमेश्वर के सामने रख देना चाहिए, ईमानदारी से परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए, और निष्ठा के साथ परमेश्वर के लिए खर्च करना चाहिए। ऐसे मनुष्यों को निश्चित रूप से परमेश्वर की प्रशंसा मिलेगी।


  जो लोग ईमानदारी से अपना जीवन नहीं जीते हैं, जो दूसरों के सामने होते हैं को किसी ऐसे व्यक्ति के जैसा होने का नाटक करते हैं जो वे नहीं हैं, जो नम्रता, धैर्य और प्रेम का दिखावा करते हैं, जबकि मूल रूप में वे कपटी, धूर्त हैं और परमेश्वर के प्रति उनकी कोई निष्ठा नहीं हैं, ऐसे मनुष्य अंधकार के प्रभाव में रहने वाले लोगों के विशिष्ट नमूने हैं, वे सर्पों के सपोले हैं।


  जो लोग हमेशा अपने ही लाभ के लिए परमेश्वर पर विश्वास रखते हैं, जो अभिमानी और घमंडी हैं, जो खुद का दिखावा करते हैं, हमेशा अपनी हैसियत की रक्षा करते हैं, ये ऐसे मनुष्य हैं जो शैतान से प्यार करते हैं और सत्य का विरोध करते हैं, वे परमेश्वर का प्रतिरोध करते हैं और पूरी तरह से शैतान के संबंधी हैं।


  जो लोग परमेश्वर के बोझ के प्रति सतर्क नहीं हैं, स्वच्छ ह्रदय से परमेश्वर की सेवा नहीं कर रहे हैं, हमेशा स्वयं के और अपने परिवार के हितों के लिए चिंतित हैं, परमेश्वर के लिए खर्च करने के लिए हर चीज का परित्याग करने में सक्षम नहीं हैं, परमेश्वर के वचनों के अनुसार अपनी ज़िंदगी कभी नहीं जी रहे हैं, वे परमेश्वर के वचनों के बाहर जी रहे हैं। ऐसे लोगों को परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त नहीं होगी।


  जब परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया, तो यह इसलिए था कि मनुष्यपरमेश्वर की समृद्धता का आनंद ले, मनुष्य वास्तव में उनसे प्यार करे और इस तरह से, मनुष्य उनके प्रकाश में रहे। आज, जो लोग परमेश्वर से प्रेम नहीं कर पाते हैं, परमेश्वर के बोझ के प्रति सतर्क नहीं हैं, परमेश्वर को पूरी तरह से अपना ह्रदय समर्पित नहीं कर पाते हैं, परमेश्वर के ह्रदय को स्वयं का हृदय नहीं मान पाते हैं, परमेश्वर के बोझ का दायित्व अपने ऊपर नहीं ले पाते हैं, परमेश्वर का प्रकाश ऐसे किसी भी मनुष्य पर नहीं चमक रहा है, इसलिए वे सभी अंधकार के प्रभाव में जी रहे हैं। ऐसे मनुष्य ऐसे रास्ते पर हैं जो परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध जाता, जो कुछ भी वे करते हैं उसमें लेशमात्र भी सत्य नहीं है, उनकी शैतान के साथ साँठ-गाँठ, और ऐसे लोग अंधकार के प्रभाव में जी रहे हैं। यदि आप हमेशा परमेश्वर के वचनों को खा और पी सकते हैं और साथ ही परमेश्वर की इच्छाओं के प्रति सतर्क रह सकते हैं और परमेश्वर के वचनों का अभ्यास कर सकते हैं, तो आप परमेश्वर के हैं, तो आप ऐसे व्यक्ति हैं जो परमेश्वर के वचनों के अंदर जी रहे हैं। क्या आप शैतान के शासन से बच निकलने और परमेश्वर के प्रकाश में रहने के लिए तैयार हैं? यदि आप परमेश्वर के वचनों के अंदर रहते हैं, तो पवित्र आत्मा को अपना काम करने का अवसर मिलेगा; यदि आप शैतान के प्रभाव में रहते हैं, तो पवित्र आत्मा के पास कोई भी काम करने का अवसर नहीं होगा। पवित्र आत्मा मनुष्यों पर जो काम करती है, वह प्रकाश जिसे परमात्मा मनुष्यों पर चमकता है, वह विश्वास जो परमात्मा मनुष्य को प्रदान करता है केवल एक पल तक रहता है; यदि मनुष्य सावधान न हो और ध्यान नहीं दे, तो पवित्र आत्मा द्वारा किया गया कार्य उनके पास से गुजर जाएगा। यदि मनुष्य परमेश्वर के वचनों के अंदर रहते हैं, तो पवित्र आत्मा उनके साथ रहेगी और उन पर काम करेगी; अगर मनुष्य परमेश्वर के वचनों के अंदर नहीं जी रहे हैं, तो वे शैतान के बंधन में जी रहे हैं। भ्रष्ट स्वभाव में रहने वाले मनुष्यों में पवित्र आत्मा की उपस्थिति नहीं होती है और पवित्र आत्मा उन पर काम नहीं करती है। यदि आप परमेश्वर के वचनों के क्षेत्र में जी रहे हैं, यदि आप परमेश्वर द्वारा अपेक्षित परिस्थिति में जी रहे हैं, तो आप परमेश्वर के हैं, और परमेश्वर का काम आप पर किया जाएगा; अगर आप परमेश्वर की अपेक्षाओं के क्षेत्र में नहीं जी रहे हैं, बल्कि इसके बजाय शैतान के क्षेत्र में जी रहे हैं, तो निश्चित रूप से आप शैतान के भ्रष्टाचार के अधीन जी रहे हैं। केवल परमेश्वर के वचनों के अंतर्गत रहने के द्वारा, अपना ह्रदय परमेश्वर को समर्पित करके, आप परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं; आपको अवश्य वैसा करना चाहिए जैसा परमेश्वर कहते हैं, आपको परमेश्वर के वचनों को अपने अस्तित्व की बुनियाद और अपने जीवन की वास्तविकता अवश्य बनाना चाहिए, तभी आप परमेश्वर के होंगे। यदि आप परमेश्वर की इच्छा के अनुसार ईमानदारी से अभ्यास करते हैं, तो परमेश्वर आप में काम करेंगे, और फिर आप परमेश्वर की आशीष के अधीन रहेंगे, आप परमेश्वर भावाभिव्यक्ति की रोशनी में रहेंगे, आप पवित्र आत्मा द्वारा किए जाने वाले कार्य को भी समझ में सक्षम होंगे, और आप परमेश्वर की उपस्थिति का आनंद महसूस करेंगे।


  अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए, पहले आपको परमेश्वर के प्रति वफादार अवश्य होना चाहिए और सत्य को जानने की उत्सुकता अवश्य होनी चाहिए, तभी आपके पास सही परिस्थिति होगी। अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए सही परिस्थिति में रहना जरूरी है। सही परिस्थिति न होने का मतलब है कि आप ईश्वर के प्रति वफादार नहीं हैं और आपमें सच्चाई की खोज करने को उत्सुकता नहीं है, फिर अंधकार के प्रभाव से बच निकलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है। अंधकार के प्रभाव से मनुष्य का बच निकलना मेरे वचनों पर आधारित है, और अगर मनुष्य मेरे वचनों के अनुसार अभ्यास नहीं कर सकता है, तो मनुष्य अंधकार के प्रभाव के बंधन से बच निकल नहीं सकता है। सही परिस्थिति में जीने का अर्थ है परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में जीना, परमेश्वर के प्रति वफादार होने की परिस्थिति में जीना, सत्य को खोजने की परिस्थिति में जीना, ईमानदारी से परमेश्वर के लिए खर्च करने की वास्तविकता में जीना, वास्तव में परमेश्वर के प्यार की स्थिति में जीना। जो लोग इन परिस्थितियों में और इस वास्तविकता के भीतर रहते हैं, वे धीरे-धीरे रूपांतरित हो जाते हैं, जैसे-जैसे वे सत्य में अधिक गहराई से प्रवेश करते हैं, और वे परमेश्वर के काम की गहराई के साथ रूपांतरित हो जाते हैं, जब तक कि अंततः वे परमेश्वर द्वारा निश्चित रूप से जीत नहीं लिए जाएँगे, और वे परमेश्वर से वास्तव में प्यार नहीं करने लगेंगे। जो लोग अंधकार के प्रभाव से बच निकले हैं वे धीरे-धीरे परमेश्वर की इच्छा को समझ पाएँगे, परमेश्वर के हृदय को समझेंगे, और अंततः परमेश्वर के साथ अंतरंग हो जाएँगे; न केवल उन्हें परमेश्वर की कोई धारणा नहीं होगी, परमेश्वर के खिलाफ कोई विद्रोह नहीं होगा, वे उन धारणाओं और विद्रोह से और भी अधिक घृणा करेंगे जो उनमें पहले थे, अपने ह्रदय में परमेश्वर के लिए सच्चा प्यार पैदा करेंगे। जो अंधकार के प्रभाव से बच निकलने में असमर्थ हैं, वे अपनी देह के साथ व्यस्त हैं, और वे विद्रोह से भरे हुए हैं; उनका ह्रदय मानव धारणाओं और जीवन के दर्शन से, और साथ ही अपने स्वयं के इरादों और विचार-विमर्शों से भरा है। परमेश्वर को मनुष्य के केवल प्यार की अपेक्षा है, परमेश्वर को अपेक्षा है कि मनुष्य उनके वचनों और उनके लिए मनुष्य के प्यार द्वारा पूरी तरह से व्यस्त रहे। परमेश्वर के वचनों के भीतर रहना, यह पता लगाना कि कौन सा मनुष्य परमेश्वर के वचनों के अंदर से तलाश करता है, परमेश्वर के वचनों के परिणामस्वरूप परमेश्वर से प्यार करना, परमेश्वर के वचनों के परिणामस्वरूप इधर-उधर भागना, परमेश्वर के वचनों के परिणामस्वरूप जीना, ये ऐसी चीजें हैं जो मनुष्य को प्राप्त करनी चाहिए। सब कुछ अवश्य परमेश्वर के वचनों पर निर्मित किया जाना चाहिए, और केवल तभी मनुष्य परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाऐंगे। यदि मनुष्य परमेश्वर के वचनों से सज्जित नहीं है, तो आदमी केवल शैतान द्वारा ग्रस्त एक भुनगा है। इसे अपने स्वयं के दिल में तोलें, परमेश्वर के कितने वचनों ने आपके अंदर जड़ जमा ली है? किन चीजो में आप परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीवन जी रहे हैं? किन चीजों में आप परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीवन नहीं जी रहे हैं? यदि आप पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों के कब्जे में नहीं हैं, तो आप किस सीमा तक कब्जे में किए गए हैं? अपने रोजमर्रा के जीवन में, क्या आप शैतान द्वारा नियंत्रित किए जा हैं, या क्या आपका परमेश्वर के वचनों द्वारा मार्गदर्शन किया जा रहा है हैं? क्या आपकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर के वचनों से शुरू हुई हैं? क्या आप परमेश्वर के वचनों के ज्ञान के कारण अपनी नकारात्मक परिस्थितियों से बाहर आए गए? परमेश्वर के वचनों को अपने अस्तित्व की नींव के रूप में मानना, यही है वह जिसमें हर एक को प्रवेश करना चाहिए। यदि आपके जीवन में परमेश्वर के वचन विद्यमान नहीं हैं, तो आप अंधकार के प्रभाव में जी रहे हैं, आप परमेश्वर के विद्रोही हैं, आप परमेश्वर का विरोध कर रहे हैं, आप परमेश्वर के नाम का अपमान कर रहे हैं, और इस तरह के मनुष्यों का परमेश्वर में विश्वास पूरी तरह से एक शरारत है, एक रुकावट है। आपका कितना जीवन परमेश्वर के वचनों के अनुसार रहा है? आपका जीवन कितना परमेश्वर के वचनों के अनुसार नहीं रहा है? कि परमेश्वर के जिन वचनों की आपसे अपेक्षा थी, उनमें से कितने आप परपूरे हुए हैं? कितने आप में खो गए हैं? क्या आपने ऐसी चीजों की बारीकी से जाँच की है?


  अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए, एक तरफ, इसे पवित्र आत्मा द्वारा किए गए कार्य की आवश्यकता होती है, जबकि दूसरी तरफ इसे मनुष्य से समर्पित सहयोग की आवश्यकता होती है। मैं क्यों कहता हूँ कि आदमी सही रास्ते पर नहीं है? यदि कोई व्यक्ति सही रास्ते पर है, तो सबसे पहले, वह अपना हृदय ईश्वर को समर्पित कर पाएगा, और यह ऐसा कार्य है जिसमें प्रवेश करने के लिए लंबे समय की आवश्यकता होती है, क्योंकि मानव जाति हमेशा से अंधकार के प्रभाव में रहती आ रही है, हजारों सालों से शैतान की दासता के अधीन रह रही है, इसलिए यह प्रवेश एक या दो दिन में प्राप्त नहीं किया जा सकता है। आज मैंने इस मुद्दे को इस तरह से उठाया है कि लोग अपनी स्वयं की स्थिति को समझ सकें; अंधकार का प्रभाव क्या है और प्रकाश के भीतर रहना क्या है इस बारे में समझ सके,जब मनुष्य इन बातों को पहचान पाता है, तो प्रवेश संभव हो जाता है। क्योंकि इससे पहले कि आप शैतान के प्रभाव से बच निकलें आपको पता अवश्य होना चाहिए कि शैतान का प्रभाव क्या है, और केवल तभी आप धीरे-धीरे स्वयं को इससे छुटकारा दिलाने के मार्ग तक पहुँचेंगे। इसके जहाँ तक उसके बाद क्या करना है, यह मनुष्य का खुद का मामला है। आपको अवश्य हमेशा सकारात्मक होकर प्रवेश करना चाहिए, आपको अवश्य कभी भी निष्क्रियता से इंतजार नहीं करना चाहिए, और इसी तरह आपको परमेश्वर द्वारा जीत लिया जाएगा।


“वचन देह में प्रकट होता है” से


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