अंतिम दिनों का मसीह - सर्वशक्तिमान परमेश्वर

जो सीखते नहीं और कुछ जानते नहीं हैं: क्या वे पशु नहीं हैं?

आज के पथ पर खोज के लिए सबसे उपयुक्त तरीका क्या है? अपनी खोज में तुम्हें किस व्यक्ति के रूप में स्वयं को देखना चाहिए? तुम्हें पता होना चाहिए कि जो कुछ अभी तुम्हारे साथ घटित हो रहा है उसे कैसे सँभाला जाए, चाहे वे परीक्षाएँ हों या पीड़ा, बेरहम ताड़ना हो या अभिशाप, इन सब के प्रति तुम्हें सतर्क ध्यान देना चाहिए। मैं यह क्यों कह रहा हूँ? क्योंकि अंततः, अब जो तुम्हारे साथ घटित हो रहा है, वह एक के बाद एक छोटा परीक्षण है। शायद अभी यह तुम्हारे लिए एक बड़ा तनाव नहीं, इसलिए तुम चीज़ों को चाहे जैसे भी होने दे रहे हो, प्रगति की अपनी खोज में इसे कीमती धन की तरह न लेते हुए। तुम बहुत अधिक लापरवाह हो! इस कीमती धन को तुम वास्तव में अपनी आँखों के सामने तैरते बादलों की तरह लेते हो, और तुम कठोर आघात करतीं इन छोटी घटनाओं को संजोये नहीं रखते, जो अभी तुम्हें बहुत कठोर नहीं लग रही हैं। तुम बस रुखाई से निरीक्षण करते हो और दिल पर उन्हें नहीं लेते हो, केवल उन्हें कभी-कभी एक दीवार से टकराते हुए देखते हो। तुम बहुत घमंडी हो! एक के बाद एक भीषण, तूफानी हमले की ओर तुम एक तिरस्कारपूर्ण रवैया अपनाते हो, और कभी-कभी तुम रुखाई से मुस्कुराते हो, उदासीनता का एक भाव प्रकट करते हुए। इसका कारण यह है कि तुम बार-बार इस तरह के "दुर्भाग्य" से क्यों पीड़ित होते हो, इस बारे में तुमने कभी सोचा ही नहीं है। क्या यह हो सकता है कि मैं लोगों के प्रति बहुत अन्यायी हूँ? क्या मैं तुम्हारे साथ बस छिद्रान्वेषण कर रहा हूँ? यद्यपि तुम्हारी सोच उस तरह गंभीर नहीं है जिस तरह मैंने इसका वर्णन किया है, तुम्हारे खामोश आचरण ने तुम्हारे दिल की भीतर की दुनिया को बहुत सुस्पष्ट ढंग से चित्रित किया गया है। कहने की जरूरत नहीं है कि जो चीज़ तुम्हारे दिल में गहरी छिपी हुई है वह निंदा और दुःख की उस अंतहीन झलक के अलावा और कुछ भी नहीं, जो दूसरों को शायद ही नज़र आये। चूँकि तुमने इस तरह के परीक्षणों को सहा है इसीलिए तुम्हें लगता है कि यह बहुत अनुचित है और तुम इस तरह अपशब्द फेंकते हो। यह इन परीक्षणों के कारण ही है कि तुम्हें लगता है दुनिया इतनी उजाड़ है, और इस प्रकार तुम उदासी से भरे हुए हो। तुम झटके के बाद झटका और अनुशासन के बाद अनुशासन को सबसे अच्छे संरक्षण के रूप में नहीं देख रहे हो, बल्कि तुम इन्हें स्वर्ग से मिले अनुचित उकसावे या उपयुक्त प्रतिकार के रूप में देखते हो। तुम बहुत अज्ञानी हो! तुमने निर्दयता से अपने सबसे अच्छे समय को अँधेरों में घेर लिया है और तुम बार-बार आते सुंदर परीक्षणों और अनुशासन के समय को एक दुश्मन के हमले के रूप में देखते हो। तुम परिवेश के प्रति अनुकूल होने में असमर्थ हो, और इससे भी अधिक, तुम अनुकूल होने के लिए तैयार ही नहीं हो। इसका कारण यह है कि तुम ताड़ना के बाद ताड़ना को क्रूर मानते हुए उनसे कुछ हासिल करने को तैयार नहीं हो। तुम खोज या जाँच नहीं करते हो, और तुम स्वर्ग की इच्छा के सामने लाचार हो—जहाँ भी तुम पहुँच जाते हो, बस तुम वहीं हो। इस ताड़ना ने जिस को तुम क्रूर मानते हो, तुम्हारे दिल को नहीं बदला है, न ही इसने तुम्हारे दिल को अधिकृत किया है। इसके बजाय, इसने सिर्फ उसे घायल किया है। तुमने इस 'क्रूर ताड़ना' को इस जीवन में केवल अपने दुश्मन के रूप में देखा है, लेकिन तुमने कुछ भी हासिल नहीं किया। तुम बहुत आत्म-तुष्ट हो! तुम शायद ही कभी मानते हो कि तुम्हें इस तरह के परीक्षण लागू होते हैं क्योंकि तुम बहुत घृणास्पद हो, बल्कि तुम्हें लगता है कि तुम बहुत अभागे हो और इसके अलावा, तुम कहते हो कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ छिद्रान्वेषी हूँ। अब तक, मैं क्या कहता हूँ और क्या करता हूँ इसकी तुम्हें कितनी समझ है? यह न मान लो कि तुम जन्म से एक प्राकृतिक प्रतिभाशाली हो, स्वर्ग से सिर्फ ज़रा से छोटे और पृथ्वी से अत्यंत ऊँचे। तुम अन्य लोगों से ज्यादा चालाक नहीं हो, और यह भी कहा जा सकता है कि तुम पृथ्वी पर अन्य किसी भी समझदार व्यक्ति की तुलना में अच्छे-खासे अनाड़ी हो क्योंकि तुम अपने आप को बहुत बड़ा मानते हो; तुम में कभी लघुता की भावना नहीं रही। ऐसा लगता है कि तुम वह सब कुछ जो मैं करता हूँ, स्फटिक की तरह स्पष्ट देखते हो। सच्चाई यह है कि तुम दूर तक भी एक समझदार व्यक्ति नहीं हो। इसका कारण यह है कि तुम सोच भी नहीं सकते कि मैं क्या करने जा रहा हूँ, और मैं वर्तमान में क्या कर रहा हूँ इसको तो तूम और भी कम जानते हो। यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि तुम एक साधारण अनुभवी किसान से अपनी तुलना नहीं कर सकते जिसे मानव जीवन का संज्ञान नहीं और फिर भी खेती के लिए स्वर्ग से आशीर्वाद पर निर्भर करता है। तुम अपने खुद के जीवन के बारे में बहुत उपेक्षापूर्ण हो और तुम्हें अपनी स्वयं की प्रतिष्ठा तक के बारे में पता नहीं है, और तुम में आत्म-ज्ञान तो और भी कम है। तुम बहुत अधिक "उच्च और ताकतवर" हो! मैं वास्तव में चिंतित हूँ कि कैसे तुम्हारे जैसी कामचोर रसिक या नाजुक महिलाएँ ज्यादा तूफानी हवाओं और लहरों के हमलों का सामना कर पाएँगी? उन रसिकों को उस परिवेश के बारे में बिल्कुल भी परवाह नहीं है जो कि उन पर अब आ गया है। यह एक तुच्छ बात लगती है, उन्हें इन चीजों की कोई परवाह नहीं। वे नकारात्मक नहीं हैं और वे खुद को दीन-हीन रूप में नहीं देखते हैं। इसके बजाय, वे अभी भी "छायादार मार्गो" पर टहल रहे और सैर कर रहे हैं। इन "व्यक्तियों" के पास जो सीखते नहीं और कुछ भी जानते नहीं हैं, कोई सुराग नहीं है कि मैं इन चीजों को उनसे क्यों कहता हूँ। वे अपने आप को एक उग्र भाव से थोड़ा-सा जानते हैं, और इसके बाद उनके बुरे तौर-तरीके बदलते नहीं हैं। मेरे पास से जाने के बाद वे दुनिया भर में उच्छृंखल भाव से इठलाते फिरते और छल करते हैं। तुम्हारे चेहरे पर अभिव्यक्ति बहुत तेज़ी से बदलती है—तुम अभी भी मुझे इस तरह धोखा दे रहे हो। तुम्हारे पास ऐसी धृष्टता है! और वे नाजुक युवा महिलाएँ वास्तव में हास्यास्पद हैं। वे मेरी जरूरी बातें सुनती हैं, वे उस परिवेश को देखती हैं जिनमें वे हैं और वे आँसू बहाने के अलावा कुछ नहीं कर सकतीं; वे अपने शरीर को मटकाती हैं जैसे कि वे मोहक बनने की कोशिश कर रही हों। यह बहुत घृणास्पद है! वह अपने कद को देखती है और बिस्तर पर लेटी रहती है, लगातार रोते हुए, जैसे कि उसका दम घुटने ही वाला हो। इन वचनों से वह खुद की अपरिपक्वता और तुच्छ्ता को देखती है, और इसके बाद वह नकारात्मकता से अत्यंत भर जाती है। वह यूँ ही घूरती है, और उसकी आँखों में कोई रोशनी नहीं होती; वह शिकायत नहीं करती है, और न ही वह मुझसे नफरत करती है—वह इतनी नकारात्मक है कि वह हिलती-डुलती भी नहीं है। वह भी सीखती नहीं है और कुछ भी नहीं जानती है। मेरे पास से जाने के बाद, वह फिर एक बार मजाक करती हुई और चंचल हो जाती है, और वह चाँदी की घंटी जैसी हँसी एक चाँदी की घंटी वाली राजकुमारी की तरह ही होती है। वे बहुत नाजुक और आत्म-दया में बहुत कमी महसूस करती हुई – दोनों ही होती हैं! तुम सभी लोग, मानव जाति के बीच क्षतिग्रस्त सामान—तुम लोगों में मानवता का बहुत अभाव है! तुम लोग आत्म-प्रेम या आत्म-संरक्षण नहीं जानते हो, तुम लोग विवेक की बात नहीं समझ पाते हो, तुम लोग सच्चे मार्ग को नहीं खोजते या सच्चे प्रकाश से प्रेम नहीं करते हो, और तुम लोग विशेष रूप से खुद को सँजोये रखना नहीं जानते हो। तुम लोगों ने शिक्षा के मेरे वचनों को समय-समय पर अपने मन के पीछे धकेल दिया है और यहाँ तक कि अपने ख़ाली समय में मनोरंजन के लिए उन्हें इस्तेमाल भी किया है। तुम लोगों ने हमेशा उन्हें अपने स्वयं के ताबीज़ के रूप में उपयोग किया है। जब शैतान तुम्हें दोषी ठहराता है, तो तुम थोड़ी प्रार्थना करते हो। जब तुम नकारात्मक हो जाते हो, तो सो जाते हो, और जब तुम खुश होते हो तो पागलों की तरह भागते-फिरते हो। जब मैं तुम्हें फटकारता हूँ, तो तुम हामी भरते हो और नमन करते हो, लेकिन जैसे ही तुम मुझे छोड़ कर जाते हो, तो जंगलीपने से हँसते हो। लोगों के बीच तुम हमेशा सबसे ऊँचे बनते हो और तुमने स्वयं को सबसे अभिमानी के रूप में कभी नहीं सोचा है। तुम हमेशा उच्च और ताकतवर, बहुत आत्म-संतुष्ट और भीषण घमंडी हो। उस तरह के "युवा पुरुष", "युवती," "सज्जन", या "महिला" जो कुछ नहीं सीखते और कुछ भी नहीं जानते, मेरे वचनों के प्रति एक अनमोल खजाने जैसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं? मैं तुमसे आगे पूछता हूँ—मेरे वचनों और मेरे कार्य से तुमने वास्तव में अब तक क्या सीखा है? तुम्हारी चालें और अधिक सयानी हैं? तुम्हारा देह अधिक परिष्कृत है? मेरे प्रति तुम्हारा रवैया अधिक तिरस्कारपूर्ण है? मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से बताता हूँ, मेरे इस सारे कार्य ने वास्तव में अब तुम्हारी बहादुरी में, जो पहले एक चूहे-सी होती थी, बढ़ोतरी की है। तुम्हारा मुझसे डरना दिनोंदिन कम होता जाता है क्योंकि मैं बहुत दयालु हूँ। तुम्हारे देह को सज़ा देने के लिए मैंने हिंसक तरीकों का कभी इस्तेमाल नहीं किया है। शायद जिस तरह से तुम इसे देख रहे हो, मैं बस कठोर बोल रहा हूँ, लेकिन ज्यादातर समय मैं तुम्हारा सामना मुस्कुराहट के साथ करता हूँ और मैं शायद ही कभी तुम्हारे सामने तुम्हारी आलोचना करता हूँ। और यह विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि मैं हमेशा तुम्हारी कमजोरियों के बारे में विचारशील हूँ, जिसके कारण तुम मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करते हो जैसा कि साँप दयालु किसान से करता है। मैं सचमुच मानव जाति के दूसरों को नापने के कौशल की प्रशंसा करता हूँ—यह वास्तव में उल्लेखनीय, शानदार है! मैं तुम्हें सच बताऊँगा। आज तुम्हारे दिल में आदर है या नहीं, वह महत्वहीन है। मैं घबराया हुआ या चिंतित नहीं हूँ, लेकिन मैं तुम्हें यह भी बताऊँगा कि तुम "प्रतिभाशाली" जो नहीं सीखते और कुछ भी नहीं जानते हो, अंततः अपनी स्वयं की प्रशंसा की छोटी चालाकी के भीतर बर्बाद हो जाओगे। तुम ही हो जो पीड़ित होगे, और तुम ही हो जो दंडित किये जाओगे। मैं इतना मूर्ख न बनूँगा कि नरक में तुम्हारे साथ जाऊँ और पीड़ित होता रहूँ, क्योंकि तुम और मैं एक तरह के नहीं हैं। मत भूलो कि तुम एक सृजन हो जो मेरे द्वारा शापित थे, और जो मेरे द्वारा सिखाये और बचाये गये हो। तुममें कुछ भी ऐसा नहीं है जिसकी मैं लालसा रखूँ। चाहे मैं जब भी काम करूँ, मैं किन्हीं भी लोगों, घटनाओं, या चीजों के हेरफेर के अधीन नहीं हूँ। यह कहा जा सकता है कि मानवता के प्रति मेरा दृष्टिकोण और नज़रिया हमेशा एक जैसा रहा है। क्योंकि तुम मेरे प्रबंधन में सहायक हो इसलिए मेरे पास तुम्हारे लिए कोई अनुग्रह नहीं है; तुम्हारे पास निश्चय ही किसी और की तुलना में अधिक ताकत नहीं है। मैं तुम्हें इसे हमेशा याद रखने की सलाह देता हूँ कि तुम एक सृजन से अधिक कुछ नहीं हो! यद्यपि तुम मेरे साथ रहते हो, तुम्हें अपनी स्थिति को जानना चाहिए और स्वयं को बहुत बड़ा नहीं देखना चाहिए। यहाँ तक ​​कि अगर मैं तुम्हारी आलोचना नहीं करता या तुम्हारे साथ व्यवहार नहीं करता, और मैं मुस्कुराहट के साथ तुम्हारा सामना करता हूँ, उससे यह साबित नहीं होता कि तुम और मैं एक ही तरह के हैं। तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम सत्य की खोज कर रहे हो, तुम स्वयं सत्य नहीं हो! तुम्हें किसी भी समय मेरे वचनों के अनुसार बदल जाना चाहिए—तुम इससे बच नहीं सकते। मैं तुम्हें सलाह देता हूँ कि जब तक तुम इन अद्भुत समय के बीच हो, जब तक कि यह दुर्लभ मौका यहाँ है, तुम कुछ सीख लो और मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश मत करो। मुझे धोखा देने के लिए तुम्हें चापलूसी से काम लेने की ज़रूरत नहीं है। मेरे लिए तुम्हारी सारी खोज मेरी खातिर नहीं—यह तुम्हारी खातिर है!


स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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