ईश्वर को लोग आज सहेजते नहीं हैं।
उनके दिलों में उसकी जगह नहीं है।
आने वाले दिनों में, पीड़ा के दिनों में,
क्या वे दर्शा सकते हैं उसके लिए सच्चा प्रेम?
क्या ईश्वर के कार्य प्रतिफल के योग्य नहीं?
क्यों नहीं मानव उसे दिल अपना देता है?
क्यों दिल को लगाकर गले से मानव उसे जाने नहीं देता?
क्या मानव का दिल शांति और ख़ुशी सुनिश्चित करता है?
मानव की धार्मिकता बिना स्वरूप है।
उसे ना ही छुआ और ना ही देखा जा सकता है।
मानव शरीर में, सबसे कीमती हिस्सा है
एक चीज़ जो ईश्वर चाहता है, वो है मानव का कीमती दिल।
क्या ईश्वर के कार्य प्रतिफल के योग्य नहीं?
क्यों नहीं मानव उसे दिल अपना देता है?
क्यों दिल को लगाकर गले से मानव उसे जाने नहीं देता?
क्या मानव का दिल शांति और ख़ुशी सुनिश्चित करता है?
क्यों जब ईश्वर लोगों से मांग करता है,
मुट्ठीभर धूल उसकी ओर वे उड़ाते हैं?
क्या यह मानव की साज़िश है, मानव की साज़िश है?
क्या ईश्वर के कार्य प्रतिफल के योग्य नहीं?
क्यों नहीं मानव उसे दिल अपना देता है?
क्यों दिल को लगाकर गले से मानव उसे जाने नहीं देता?
क्या मानव का दिल शांति और ख़ुशी सुनिश्चित करता है?
क्या मानव का दिल शांति और ख़ुशी सुनिश्चित करता है?
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
Hind worship songs with lyrics - A Collection of Hymns - Well Worth Listening to